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Monday, August 9, 2010

सपने

जाने पहचाने
है सपने मेरे
कुछ बीते कल के
कुछ आने वाले पल के
कुछ सोते
कुछ जागते
लेते अलग अलग आकार
कुछ रहे अधूरे
कुछ हुए साकार
करती मै सोच विचार
लिख कर इन्हे कैद कर लूं
या मन की दीवारों में
रहने दूं आज़ाद!

2 comments:

  1. Kripya lavson mein qaid kar ke
    sab se milwa lo....
    doston ke sapnon ko bhi toh aapas mein milna chahiye:)

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